आम आदमी की जिंदगी इतनी आसान कहाँ होती है?
सुबह जल्दी उठना है,
अलार्म लगाके सोना है,
कल है प्रेज़ेंटेशन एक मेरी,
उसे जी-जान से करना है|
मेहनत हो जाए काश सफल मेरी,
वो मिल जाए मैनेजर की कुर्सी।
ये आम आदमी की जिंदगी है भैया...
चाय से शुरू, दिन भर की भाग दौड़ पर खतम।।
इतनी आसान कहाँ?
कभी छोटी बहन की शादी के पैसे जोड़े के लिए,
कभी खुद का एक घर बनाने के लिए,
कभी छोटी-सी एक गाड़ी लेने के लिए,
कभी माता - पिता की खुशी के लिए,
जिंदगी मेरी यूँ गुजर जाती है|
ये आम आदमी की जिंदगी है भैया...
चाय से शुरू, दिन भर की भाग दौड़ पर खतम।।
इतनी आसान कहाँ?
मैं भरता हूँ समय पर सारे बिल,
हो वो पानी, बिजली या टेलीफोनिक।
कभी नहीं भूला लेकर जाना वो हेलमेट भारी,
ताकि कट ना जाए मेरा चलान, या ना आजाए कोई मुश्किल भारी।
रहता हूँ हर नियम से बंधा,
करता नहीं उलंघन किसी का,
ताकि हो मेरे देश की प्रगति,
और हो उन्नति उसकी।
ये आम आदमी की जिंदगी है भैया...
चाय से शुरू, दिन भर की भाग दौड़ पर खतम।।
इतनी आसान कहाँ?
सिद्धांतो से बांधी है मैंने अपनी ये छोटी-सी जिंदगी,
राह न कभी ली मैंने उल्टी।
संस्कारों का रखता हूँ मान,
और यही सिखाऊँ अपनी पीढियों को आज।
भला कर और भलाई पाओ,
अच्छाई से ही होती है ये दुनिया सुवाहनी।
ये आम आदमी की जिंदगी है भैया...
चाय से शुरू, दिन भर की भाग दौड़ पर खतम।।
इतनी आसान कहाँ?
कब मियाँ एक और बात सुनलो आज मेरी,
किसी महान पुरुष ने है सच यह कहा-
"क्या मंदिर क्या मस्जिद,
क्या गंगा की धार करे,
वो घर ही मंदिर है जिसमें,
औलाद माता-पिता का सत्कार करे।"
इसलिए सदेव करो उनका सत्कार,
कभी न चखोगे तुम हार का स्वाद।
ये आम आदमी की जिंदगी है भैया...
चाय से शुरू, दिन भर की भाग दौड़ पर खतम।।
इतनी आसान कहाँ?
यही मैंने सिखा है-
आम आदमी बनना कोई अपराध नहीं,
नहीं है अभिशाप ये कोई,
बढ़ो आगे करो मेहनत,
और अपने भगवान (माता-पिता) का रखो मान।
ये आम आदमी की जिंदगी है भैया...
चाय से शुरू, दिन भर की भाग दौड़ पर खतम।।
इतनी आसान कहाँ?
ये तो हुई सदा की कहानी,
अब बताता हूँ एक मौसम की बात,
बारिश में टपकती है छत मेरी,
भर जाता है घर पूरा पानी-से-तालाब में।
जब-जब बादल हैं रोते,
तब-तब हम परेशान हैं होते।
वो मोती-सी बारिश की बूँदें,
पसंद तो मुझे भी है बहुत,
उस सावन की वर्षा में,
भीगना तो मुझे भी है,
पर क्या करूँ, एक आम आदमी ठहरा।
ये आम आदमी की जिंदगी है भैया...
चाय से शुरू, दिन भर की भाग दौड़ पर खतम।।
इतनी आसान कहाँ?
सोचता हूँ अब अपने फुर्सत के लम्हों में,
मैंने यदि थोड़ी ज़्यादा मेहनत करी होती,
पिताजी से कहकर आगे डिग्री की पढाई कर ली होती,
काश सरकार ने थोड़ी और नौकरी निकाली होती,
डिग्री होने पर, परीक्षा पास करने पर,
इस्से बेहतर नौकरी मिल गई होती।
ये आम आदमी की जिंदगी है भैया...
चाय से शुरू, दिन भर की भाग दौड़ पर खतम।।
इतनी आसान कहाँ?
अब तो मैं बस यही सोचता हूँ-
एक आम आदमी की जिंदगी को एक नया मोड दूँ,
उसकी जिंदगी में सब कुछ आम होते हुए भी,
कुछ भी आम नहीं होता है।
हर मोड पर काँटों का सफर होता है,
या परेशानियों से घिरे विशाल भवंडर में से निकल नहीं पाता है।
ये आम आदमी की जिंदगी है भैया...
चाय से शुरू, दिन भर की भाग दौड़ पर खतम।।
इतनी आसान कहाँ?
उम्मीद उसकी अब बस इतनी-सी है,
चाहत बची अब बस इतनी-सी है,
की उसकी जो भी औलाद हो, वो...
पढ़े-लिखे और दिखाए अपनी काबिलियत दुनिया को,
ना रहे सरकार, कॉलेज या शिफ़ारीश के दम पर,
इस अंधेरे-सी दुनिया में,
चमके एक सितारा बनकर।
सपने जरूर सच होते हैं,
मगर वास्तव में सपने वही होते है जो-
हमें मेहनत करने पर मजबूर करदे,
नाकि वो जो हम सोते हुए देखें।
मेहनत करोगे तो सफलता अवश्य मिलेगी,
इस आम आदमी की दुनिया को
आसान बनाएगी वो एक रोज़ ज़रूर!
Emotional
ReplyDeleteRealities are always emotional ✨
DeleteBeautifully articulated and presented. Well done you budding writer❤❤💫💫
ReplyDeleteThank you so much ✨✨
DeleteHeart touching poem🥺❤❤
ReplyDeleteYes, it is✨✨
DeleteWell written❤️🥺
ReplyDeleteThank you✨✨
DeleteBhottt pyariiiii shime it melts my heart ❤❤
ReplyDeleteRelatable 🤍
Thank you, means a lot✨
DeleteWow great job 👌
ReplyDeleteThank You✨✨
DeleteExcellent, writing Neha you expressed the reality of aam admi.a life full of struggle...
ReplyDeleteHeart' touching..... Keep it up .....
Thank you so much Vibha, means a lot ✨✨
DeleteThis is a 🌺🌺nice poem that tells reality of life 💫💫
ReplyDeleteKeep it up neha 👍👍
Thank you so much ✨✨
DeleteBeautifully written ❤️
ReplyDeleteThank you Aakriti✨✨
DeleteNice ��
ReplyDeleteThank you✨✨
Delete