मिसाइल मैन की सादगी || Hindi Poem on Dr. APJ Abdul Kalam || Deshbhakti


लाखों युवा की  प्रेरणा, अनेकों के मार्गदर्शक हैं वो,
नवीन सोच के स्रोत, कलाम है वो ||

पतंग उड़ाने से मिसाइल तक
किस्सा सपने सच करने के हूनर का है
मिसायममैन कहे जाने से पहले का संघर्ष
और सफलता के बाद की उनकी सादगी 
हाँ, इन्ही मोतियों से पिरोया है कलाम ने अपना जीवन 
साइंस से लेकर सपनो तक एक ही व्याख्या
कलाम ने संवारा देश ये हमारा ||


खूब जानने की जिज्ञासा थी कलाम की, 
इसी ने आगे चलकर विज्ञान को नई दिशा दी |
एक सहज सवाल आया इस कक्षा पांचवी के विद्यार्थी को, 
शिक्षक सुब्रमण्यम ऐयेर से पूछ बैठे- " चिड़िया कैसे उड़ती है?"
जब मिला सवाल का जवाब तो मानो मिल गया हो उन मासूम आँखों को एक नवीन स्वप्न | 


सात भाई-बहनो में थे सबसे दुलारे, 
पढ़ते बहुत थे ये कलाम न्यारे |
पर घर की हालत थी मानो ऐसी , 
दो वक़्त खाना - खाने की चिंता सदा थी रहती | 


पढाई जारी रखी और घर में आमदनी की भी सोची
साईकल से बेचते थे अखबार,  
और उन अखबारों को पढ़कर प्राप्त करते थे ज्ञान | 
थकान को कभी सपनो के आड़े नही दिया आने, 
सुबह चार बचे उठकर,
रात को ग्यारह बजे तक थे पढ़ते |
हाँ उसी लैंप से ...
जो उनकी माँ ने दिलाया था पैसे जोड़  के | 


पढाई के साथ पक्षियों - सी उड़ान का था सपना, 
युवा अब्दुल कलाम की आँखों में था हमेशा तैरता, 
ख्वाइश तो थी एअर - फोर्स में पइलेट बनने की, 
ये सपना तो ना हुआ पूरा, पर उड़ान का जोश हो गया  था दोगुना ||


आज की पीढी बोले- नींद में अच्छे-अच्छे सपने देखो, 
पर कलाम कहते- सपने तो वो है जो नींद ही न दे आने ! 
मिसाइल मैन कलाम का सपना कोइ नींद का सपना नही बल्कि जागती आँखों का सच था | 


तीन रात जागे ताकि थीसिस पूरी करके मिल पाए स्कोलर्शिप, 
डिग्री मिलते ही हुए स्पेस-साइंस की और निर्देशित, 
दिल्ली आये, काम बहुत किया वहाँ, 
फिर इसरो की तरफ मोडा अपना विमान ||


आसमान बाहें फैलाये कर रहा था उनका स्वागत, 
पर उनकी सादगी तो सुनो ज़रा मेरे पाठकों | 
ओपरेशं शक्ति में पृथ्वीराज से लेकर अग्नि और पृथ्वी तक, 
इन महापुरुष को किस नाम से करे अलंकृत || 


जो भी इन महानायक का नाम करें तय, 
उनका तो कामयाबियों का काफिला यूँ ही चलता गया |
परंतु उनके पास क्या था?? 
न अपना घर,  न अपनी खरीदी ज़मीन और न गाड़ी, 
सादगी की राह पर ये यूँ चल पड़े हो मानो 
जितना होसके प्राप्त करने से ज्यादा योगदान देते चले || 


राष्ट्रपति बनने के बाद जो भी था वह भी कर दिया उन्होंने दान, 
दो सूटकैस के साथ राष्ट्रपति भवन आये थे और यूँ ही कर दिया प्रस्थान | 
देश के संविधानिक प्रमुख की जिंदगी में ये सादगी की मिसाल  तो ज़रा देखो, 
सादा जीवन उच्च विचार का कलाम करे सदेव प्रचार ||


आखरी सांस तक चिंता देश की ही बनी रही 
"आखिर कैसे देश की संसद सुचारु रूप से चले?"
ये सवाल अब देश के नेताओं के है सामने, 
प्रचार करो सादगी का और देश को करो महान ||

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